देश में स्टार्टअप का तेजी से विकास हो रहा है, लेकिन झूठा दावा करने वाले फेक साइंटिस्ट भारतीय स्टार्टअप के विकास की राह में जोखिम पैदा कर रहे हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक कई बार इन फेक साइंटिस्ट के दावे के आधार पर कुछ उद्यमी नए स्टार्टअप वेंचर में कदम रख देते हैं और जब इनोवेशन या पेटेंट का दावा झूठा निकलता है, तो उनके सामने मुश्किल वाली स्थिति पैदा हो जाती है। फेक दावों को देखते हुए लोग वास्तविक साइंटिस्ट्स के दावों को भी नजरंदाज कर सकते हैं और स्टार्टअप शुरू करने से कतरा सकते हैं।
सोशल मीडिया पर कई फेक साइंटिस्ट चर्चा में आ चुके हैं
सोशल मीडिया पर कुछ समय पहले बिहार के गोपाल जी की कहानी काफी ट्रेंड हो रही थी। इसके मुताबिक 19 साल के इस लड़के ने कई इनोवेशन किए। उसे नासा और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने आमंत्रित किया था। कई प्रमुख अखबारों ने उस पर एक्सक्लूशिव खबर भी प्रकाशित की थी। हालांकि बाद में उन्हें खबर को वापस लेना पड़ा था। ऐसे कई और फेक साइंटिस्ट्स चर्चा में आ चुके हैं।
केरल के अरुण कुमार ने भी दावा किया था कि अमेरिकी अंतरिक्ष रिसर्च संगठन नासा ने उन्हें रिसर्च साइंटिस्ट की नौकरी ऑफर की है। उसने जनवरी 2013में यह भी कहा था कि प्रसिद्ध वैज्ञानिक और एमआईटी के फेकल्टी बारबरा लिस्को ने उसे डोक्टोरल थेसिस के लिए मौका दिया है। अरुण ने अंग्रेजी मीडिया की एक रिपोर्ट दिखाकर एक विश्वविद्यालय में लेक्चरर की नौकरी भी हासिल कर ली। बाद में केरल के एसपी (टेलीकम्युनिकेशंस पुलिस) जयंथ जयंथन ने अपनी जांच में पाया कि उसका दावा पूरी तरह से गलत है।
पश्चिम बंगाल सतपर्णा मुखर्जी ने भी 2016 में इसी तरह से प्रसिदि्ध हासिल कर ली थी। कक्ष 12वीं की लड़की ने दावा किया था कि नासा ने उसे इंटर्नशिप के लिए आमंत्रित किया है। हालांकि फेसबुक के एक पोस्ट ने उसके दावे पर सवाल उठाया और बाद में उसके दावे को झूठा पाया गया।
फेक दावों से भारतीय विज्ञान जगत और स्टार्टअप की होती है बदनामी
गोपाल जी ने दो पेटेंट का दावा किया था। दोनों दावे झूठे पाए गए। गोपाल जी से संपर्क करने पर उन्होंने कहा कि ये प्रोविजनल पेटेंट थे। इस क्षेत्र के जानकार जानते हैं कि प्रोविजनल पेटेंट को कोई विशेष मतलब नहीं होता है। गोपाल जी ने कहा कि उसने 2016 में डीएसटी इंस्पायर अवार्ड मिला है। इसे सत्यापित किए जाने की जरूरत है। उसने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उसे नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन (एनआईएफ) में भेजा था, जहां उसने कई इनोवेशन किए। एनआईएफ के डायरेक्टर डॉ. विपिन कुमार ने कहा कि उन्हें इस आदमी के बारे में कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने मीडिया को भी अपनी खबरें सही करने के लिए पत्र भेजे। इस तरह के मामलों से भारतीय विज्ञान और स्टार्टअप की बदनामी होती है, जो ऐसे इनोवेशन के आधार पर कारोबारी गतिविधि शुरू करना चाहते हैं।
इनोवेशन में निवेश करने से कतराएंगे स्टार्टअप
टेक्नोलॉजी इन्फोर्मेशन फोरकास्टिंग एंड असेसमेंट काउंसिल (टीआईएफएसी) के पूर्व कार्यकारी निदेशक और वर्तमान में पुणे के डीवाई पाटिल इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर प्रोफेसर प्रभात रंजन ने गोपाल जी मामले के बारे में कहा कि मैं गोपाल जी के पेटेंट स्टार्टअप के जरिये कॉमर्शियली सफल बनाने की सोच रहा था। लेकिन एनआईएफ के निदेशक ने गोपाल जी के इनोवेशन की खबर को गलत बताया। बाद में मुझे महसूस हुआ कि यदि ऐसा होता रहा, तो लोग वास्तविक इनोवेशन करने वाले साइंटिस्ट्स को भी नजरंदाज करने लगेंगे। जो लोग ऐसे इनोवेशन में निवेश कर स्टार्टअप खड़ा करना चाहते हैं, उनके लिए भी एक मुसीबत पैदा करने वाला है। इस तरह के मामलों से काई आगे नहीं आना चाहेगा।
31 मार्च 2018 तक देश में 56,764 पेटेंट प्रभावी थे
इंडियन पेटेंट ऑफिस (आईपीओ) के आंकड़ों के मुताबिक देश में 31 मार्च 2018 तक 56,764 पेटेंट प्रभावी थे। इनमें से 8,830 पेटेंट भरतीयों के थे। कारोबारी साल 2017-18 में भारत में कुल 47,854 पेटेंट आवेदन दाखिल हुए थे। इनमें 6,343 आवेदन रसायन क्षेत्र में, 2,741 फार्मास्यूटिकल्स में, 344 खाद्य क्षेत्र में, 4,278 बिजली क्षेत्र में, 11,573 मिकैनिकल में, 6,089 कंप्यूटर व इलेक्ट्रॉनिक्स में, 992 बायोटेक्नोलॉजी में, 1,032 जनरल इंजीनियरिंग में और 14,462 आवेदन अन्य क्षेत्रों में दाखिल हुए थे।
भारत में महाराष्ट्र से दाखिल होते हैं सर्वाधिक पेटेंट आवेदन
भारत में आवेदन व्यक्ति, स्टार्टअप, छोटी इकाइयां जैसी कई श्रेणी से पेटेंट आवेदन दाखिल किए जाते हैं। 2017-18 में देश में जो कुल 47,854 पेटेंट आवेदन दाखिल हुए थे, उनमें से सिर्फ 15,550 आवेदन भारतीयों ने दाखिल किए थे। इनमें भी सर्वाधिक 3,744 आवेदन महाराष्ट्र से आए। प्रमुख 5 राज्यों में इसके बाद तमिलनाडु से 2,737, कर्नाटक से 1,971, दिल्ली से 1,419 और तेलंगाना से 974 आवेदन आए।
देश में सीएसआईआर से आते हैं सर्वाधिक पेटेंट आवेदन
2017-18 में देश में काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआईआर) से सर्वाधिक 176 पेटेंट आवेदन दाखिल किए गए। टॉप में इसके बाद डीआरडीओ से 126, जीएचआर लैब्स एंड रिसर्च सेंटर से 57, इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च से 37 और एलएंडटी टेक्नोलॉजी सर्विसेज लिमिटेड से 19 पेटेंट आवेदन दाखिल किए गए।
इंस्टीट्यूट और यूनिवर्सिटीज में आईआईटी सबसे आगे
इंस्टीट्यूट और यूनिवर्सिटीज के लिहाज से देखा जाए तो आईपीओ के मुताबिक 2017-18 में सर्वाधिक 540 आवेदन आईआईटी ने दाखिल किए। इसके बाद एमिटी यूनिवर्सिटी ने 119, सविता डेंटल कॉलेज एंड हॉस्पीटल्स ने 118, एसआरएम यूनिवर्सिटी ने 81 और भारत यूनिवर्सिटी ने 66 आवेदन दाखिल किए।
आईटी क्षेत्र में सर्वाधिक पेटेंट विप्रो दाखिल करती है
आईपीओ के मुताबिक सूचना और प्रौद्योगिकी (आईटी) क्षेत्र में सर्वाधिक पेटेंट आवेदन विप्रो दाखिल करती है। 2017-18 में विप्रो लिमिटेड ने सर्वाधिक 125 आईटी पेटेंट आवेदन दाखिल किए। इसके बाद टीसीएस ने 90, हाइक लिमिटेड ने 66, डॉ. कनपथी गोपालकृष्णन ने 36 और एचसीएल टेक्नोलॉजी ने 32 आईटी पेटेंट आवेदन दाखिल किए।
विदेशी संगठनों में क्वालकॉम सबसे आगे
भारत में पेटेंट आवेदन करने वाले विदेशी संगठनों में क्वालकॉम इनकॉरपोरेटेड सबसे आगे है। 2017-18 में इसने 960 आवेदन किए। इसके बाद कोनिंक्लीजेकेई फिलिप्स एनवी ने 520, फिलिप्स लाइटिंग होल्डिंग बीवी ने 217, गूगल एलएलसी ने 184, मित्सुबिशी इलेक्ट्रिक कॉरपोरेशन ने 176 आवेदन दाखिल किए।
पेटेंट में स्टार्टअप को मिलती है ज्यादा तरजीह
टेक्नोलॉजी इन्फोर्मेशन फोरकास्टिंग एंड असेसमेंट काउंसिल (टीआईएफएसी) में डब्ल्यूओएस-सी स्कीम की वैज्ञानिक शेरिन थोमस ने कहा कि भारत में पेटेंट आवेदन की प्रोसेसिंग में स्टार्टअप को काफी तरजीह दिया जाता है। स्टार्टअप को शुल्क में छूट तो दी ही जाती है। इसके अलावा उनके आग्रह पर उनके आवेदन की तेजी से जांच कराई जा सकती है। एक उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि एक स्टार्टअप ने फ्लेवर कोटेड जैगरी और फ्लेवर्ड जैगरी के लिए 2 आवेदन दाखिल किए थे। दोनों पेटेंट क्रमश: करीब 9 महीने और डेढ़ साल में प्रदान कर दिए गए। तेज प्रक्रिया से स्टार्टअप को मदद मिलती है, क्योंकि अत्यधिक प्रतिस्पर्धात्मक माहौल में स्टार्टअप के लिए यह एक रणनीतिक कारोबारी उपकरण है। इस तरह से सरकार स्वदेशी रिसर्च और उद्यमिता को प्रोत्साहन दे रही है।